Monday, July 5, 2010

ख्वाबो -ख्याल

ये उसकी

खता

नहीं है.

मैं उस पर

मरता हूँ

उसे पता

नहीं है.

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मुझे क्या खबर सितमगर
कौन सी जुबान बोले है
जब भी करीब होय है
न मैं बोलूं हूँ , वो लब खोले है
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तुम्हारी कही निभा रहा हूँ
देखो कितना खुश नज़र आ रहा हूँ.
माथे की शिक़न से लोग पहचान लेते हैं
रोज़ एक नया नकाब लगा रहा हूँ .
लाख चाह कर भी मैं तुम्हारे जैसा न बन सका
आज भी इबादत की तरह दिल लगा रहा हूँ .
वक़्त के पाबन्द वो कल थे न आज
वो आयेंगे ज़रूर येही सोच मैं उम्र बिता रहा हूँ.
आना उनका मेरे ज़नाजे पे सौ नाज के साथ
नसीब देखिये वो आये हैं और मैं जा रहा हूँ .


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आप तो मुझे मनाने आते हज़ार बार
इस दिल का क्या करूँ आप पे आ जाता है बार बार
न सताने का वादा याद था बदगुमाँ को
फिर भी हँस के बोले सता लेने दो एक आखिरी बार
सुना है वो सितमगर आज फिर रूठा है
देखूँ मनाऊं उसे फिर से एक बार
कहाँ गए वो शख्श जिन्हें पास था दिल की मजबूरियों का
उनकी दिल्लगी ठहरी,हम छोड़ आये अपना घर-बार
उस शोख को आते हैं रूठ जाने के बहाने हज़ार
मेरी सादगी देख हर बार मनाता हूँ जैसे रूठे हों पहली बार
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वो मेरा था फिर क्यूँ
अजनबी सा गुजर गया
नहीं कोई गिला उससे
बस आज से मुझे वो अपना न लिखे.
यूँ ही नहीं अहले-शहर को
याद अब तक
अपने कशीदे,उसके नाम
हमने कहाँ कहाँ न लिखे.
कभी उसकी रुसवाई का
सबब न बन जाएँ
बस ये सोच सोच ज़िन्दगी भर
उसे ख़त न लिखे.
सीना-सिपर था वो फिर क्यूँ
अपने ही आंसुओं में डूब के मर गया
खुदा किसी को पानी की
ऐसी मौत न लिखे .

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मेरे साथ रह गया
या मुझे तन्हा कर गया.
फैसला तेरे हाथ है
अब तू ही बता ये क्या कर गया .
लोग ता-उम्र भटका किये
उसके निशाँ-ए-प़ा के वास्ते
मेरे साथ दो कदम चला
और मुझे मंजिल के पार कर गया.
दिल के सौदे में तू मेरे नफे की न पूछ
एक रात ठहरा था चाँद मेरी ज़मीं पे
और मुझे उम्र भर के लिए
मालामाल कर गया.
बहुत सुनते थे उसकी दरियादिली
उस पे ज़ाहिर भी थी मेरी तिशना-लबी
फिर साक़ी मेरे प्याले को
क्यूँ इतना कम भर गया.
मेरे साथ रह गया..

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तेरे हर ग़म को दूर कर सके
अपनी दुआ में वो तासीर चाहता है.
तेरी पलकों पे सजे हर सपने की
तामीर चाहता है .
अजब सौदागर है हीरे-मोती का
तेरा हर आंसू, तेरी हर पीर चाहता है .

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वादा है आँखें तुम्हारी
खुशियों से रोशन होंगी
मैं चिराग जलाता हूँ
तुम नज़र मिलाओ तो सही
तुम्हारी राह के तमाम काँटे
समेट लाये हैं
लो फ़ैल गयीं मेरी बाहें
तुम एक कदम आओ तो सही
तुम्हारे दामन में बहार के फूल ही फूल होंगे
मैं दुआ में
हाथ उठाता हूँ
तुम एक बार मुस्कराओ तो सही .


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खुदा ये दिन भी
दिखाए मुझको
मैं रूठा रहूँ
वो मनाये मुझको .
इतना आसान कहाँ हुनर
बदले का
हसरत ही रह गयी
मेरी तरह वो सताए मुझको .
सब कुछ तो कहा
बाकी क्या रहा
अरमां अगर है तो
आज वो भी सुनाये मुझको .
बस एक तेरी चाहत में
उम्र भर गाते रहे
में क्या करूँ
दुनियां ने जो हार पहनाये मुझको .
सुना है मेरा नाम न लेने का
अहद उठाया है
ये कैसी कसम है शामो सहर
वो गुनगुनाये मुझको .
दिल के खेल में सनम
अब माहिर हो चले
ग़ैर की महफ़िल में
बेवफा बताये मुझको .
ऐ खुदा दिल के हाथों
इस क़दर मजबूर कर दे
भले बात न करे
एक बार तो बुलाये मुझको .
मुझ में खामियां हज़ार
मुझे कब इनकार
काश वो मिटा के
फिर से बनाये मुझको .




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