Wednesday, June 26, 2013

तुझे याद करना मेरे बस में नहीं  
तो तुझे भूलना मेरे बस में कैसे होता  
सोचता हूं तुमसे न मिला होता तो ?  
तुम तो 'तुम' ही रहते, बस मैं 'मैं' कैसे होता


एक दुनियां छोड़ आये हम अपने पीछे
एक दुनियां छोड़ आये तुम अपने पीछे
अब इन तमाम सवालों के क्या मानी
कौन आया ?............ किसके पीछे ?




Wednesday, June 19, 2013



मतलबी, खुदगरज़, धोखेबाज़, ज़िंदगी
कितने नामों से नवाज़ती ज़िंदगी
शहर के कोलाहल में एक पगडंडी सी ज़िंदगी
मेरी बस्ती से तेरे घर को आती ज़िंदगी
मुहब्बत न थी कभी, न सही, मेरा वहम ही सही
अलबता मुझ पर अक्सर तरस खाती थी ज़िंदगी

Saturday, June 15, 2013

भले तुम उन्हें हीरे - जवाहरात कहो
जानते तुम भी हो पत्थरों के सौदागर हो

Tuesday, June 11, 2013



मत पूछ मुझसे मेरे वस्ल की बात

हिज्र के शिकवों में गुजर गयी रात

जिंदगी लौटी मायूस उसकी गली से

बिन दुल्हन के जैसे लौट आये बारात
साहबजादे कान छिदवा के, टैटू गुदवा के, गाने लगे हैं रैप
टोका तो बोले "ओ कम ऑफ डैड, दिस इज जनरैशन गैप"