Thursday, March 27, 2014



इतनी बढ़ी पानी की तिज़ारत मेरे शहर में

लोग बेचने लगे तरह तरह का पानी मेरे शहर में

तुम बोतल, जार टैंकरों पर ताज़्ज़ुब करते हो

देखो बिक रहा आंख का पानी मेरे शहर में

Monday, March 17, 2014

चीफ मिनिस्ट्री क्या गई, मफलर भी चला गया
भाषणबाजी न रही तो खांसी-खुर्रा भी चला गया
हे खग मृग तिलक-लेन विहारी जो छोड़ गया था सामान
देखा क्या तुमने ? अब तो वो ट्रक भी चला गया


एक हम हैं ! हर लम्हा तेरा नाम, तेरा ख्याल, तेरा ज़िक़र 
एक तू है ! हम किस हाल में हैं ? ज़िंदा हैं ? तुझे कहां खबर  
हर मुलाक़ात में खाये है हरज़ाई कसमें ज़माने भर की  
यूँ मतलबी मुड़ के कब देखे है ? एक बार जब फेर ले है नज़र  
पत्थर दिल से तौबा करें या फिर इस अदा पे  मर मिटे
ज़ालिम की बला से कोई उसके इश्क़ में जीये या मर मिटे

Tuesday, March 11, 2014

ज़जबात देख ज़जबात की शिद्दत देख
उनकी आरज़ू, उनके अरमान सच्चे हैं
मुझे यक़ीं है एक पुकार पे आ जायेंगे वो
भले साहिल पर आज भी घड़े कच्चे हैं