Tuesday, June 24, 2014

कल तलक मैं आंख का तारा था इस शहर में
आज कोई  पहचानता
नहीं मुझे इस शहर में
पहचान कर भी वो न पहचानने की तेरी अदाकारी
मजबूरी कभी इतनी तो ना थी मजबूर इस शहर में