किसी भी राह कीमंजिल नहीं यहाँ किस पथ पर अपनेपाँव बढाऊँ यहाँ का चेतन भीजड़ हो गया है अपना दर्द सुनानेकिसे जगाऊँ कोई नहीं आराध्यकिसके आगे अपने को छोटाबताऊँ कहा बड़ों नेसन्मार्ग पर मंजिल मिलेगी किन्तु पाया मैंनेकु-पथ पर लक्ष्य को समीप जिसको भी सुनाईमैंने अपने व्यथा सामने मेरे दुःखजता बाद मैं हँसा इसलिए मैं जड़ सेकहता हूँ अपने आत्मकथा वो जो जगत मैं हैआराध्य मैं नहीं उसकीभक्ति को बाध्य कैसे मैं विश्वासकरूँ मैं साधन हूँ औरवो साध्य उनके आदर्शनहींमेरे अनुकरणके लिए उनकीभावना नहींमेरे वरण के लिए मेरे पास स्थाननहीं उनके विचारों कीशरणके लिए फिर किसकी करूँनिंदा किसकी महिमागाऊँ किसी भी राह कीमंजिल नहीं यहाँ किसपथ पर अपने पाऊँबढाऊँ
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
ये ज़िन्दगी का सफ़र तय ना हो पाता अगर तेरे गेसुओं का रंगीं साया ना होता. ग़म के शोले कब के खाक कर गये होते अगर तेरी शबनमी मुहब्बत का झोंका आया नाहोता. ये जवानी का कारवां राह में ही भटक जाता अगर तेरी गली को मुड़ा ना होता. कौन मुझे पहचानता गर मेरे साथ तेरा नाम जुड़ा ना होता.
........
अबभी कभी-कभी नितांत जीवनकी सूनीराह पर मैं चलते-चलतेयूँ ही अक्सर रुक जाया करता हूँ क्यूँकी मुझे लगता है अतीत पुकार रहा है भविष्य उदासीन है और वर्तमान धिक्कार रहा है.
..........
क्या कभी महसूस किया है दर्द तुम्हारे दिल की सतह ने. क्याकभी तुम्हें सताया है किसी राही की विरह ने. यदि नहीं तो क्या दर्द समझ पाओगे या सुन के मेरी कहानी तुम भी औरों की तरह बस हँस जाओगे.
........
वासना थी तीव्रतम जब ले लिया था संन्यास मैंने. प्यार का समय था तुमसे जब खोदिया था विश्वास मैंने. धरतीका आधारतुम दे ना सके ठुकरा दिया बुलंदियों का आकाश मैंने तृप्त करनासके तुममेरीक्षधा बुझा ली अपना ही खून पी के प्यास मैंने. वासना थी तीव्रतम ... नहीं था दिल का लगाना कोई दुष्कर कार्य क्यों फिर दूर रहना ही रहा हमारे बीचअनिवार्य तुम रहे अन्यत्रव्यस्त मैंभीहोगयाअकेलारहने का अभ्यस्त और गंवा दिया व्यर्थ जवानी का अवकाशमैंने. वासना थी तीव्रतम जब ले लिया था संन्यास मैंने .
मुझे इंतज़ार है उस दिन का मेरे बुरे कर्म भी हो जायेंगे जब क्षम्य पाप मेरे बन जायेंगे पुण्य छोटे-बड़े अपने-पराये सब रोयेंगे मुझे इंतज़ार है उस दिन का जब शत्रु भी करेगा मेरी प्रशंसा हाँवही वो मेरीमौतका दिन मुझे इंतज़ार है उस दिन का और जब तक वो दिन नहीं आता तब तक लोग ढूंढते रहे हैं और रहेंगे मेरे अच्छे कामों में भी बुराई मेरे पुण्य में मेरा स्वार्थ छोटे मजाक बनाते रहेंगे बड़े हँसते रहेंगे मेरे सयानेपन पर पराये ? पराये तो पराये हैं ही शत्रु की तो बात ही क्या मित्र भी करते रहेंगे बुराई उस दिन तक हाँ वही मेरे मौत के दिन तक मुझे इंतज़ार है उस दिन का ......... हृदय ही जीवन का अवलंबन नहीं एक कर्त्तव्य भावना से बड़ा, प्रेम से बढ कर है विवेक देख आकर्षक एक किनारा, भूला मांझी अपना गंतव्य बह गया लहरों में एक आस लेकर दिव्य राही भटक जाता अपनी राह देख मुस्कान कीछाँव स्वयं बाँध लेता रिश्तों की बेड़ियों सेअपने पाँव डोल गया मधुकर का मन देख नीरज के बाण ना कर सका लोभ का संवरण, खो बैठा अपने प्राण ओ मानव पुनः सोच आँखें मल के देख हृदय ही तो ... चाह था पतंगे ने दीये के प्रकाश को जब तन ही जल गया तो कहाँ ले जाये मन की प्यास को जुगनू ढूंढ रहा किसे इस घने अन्धकार में किसकी चाह चाह कर भी ना छुपा प़ा रहा पपीहा अपनी पुकार में विरह का गीत क्यों गुनगुना रही हर आवाज वेदना में घुला हुआ क्यों है ये संसार क्यों नहीं तोड़ पाता मनुष्य बंधन प्रत्येक हृदय ही तो जीवन का अवलंबन नहीं एक कर्तव्य भावना से बड़ा प्रेम से बढ कर हैविवेक
....
मृत्यु और जीवन में हुई आँख मिचोली मृत्यु चोर बनी, जीवन पृथ्वी के वन में सुख दुःख के झुरमुट में दुबक गया ये लुका छिपी चलती रही साठ बरस...सत्तर ..अस्सी बरस और एक दिन मृत्यु ने जीवन को ढूंढ ही लिया .
...........
एक तुम्हारा विचार मन में आने से मेरी भावनाओं का आकाश बढ़ने लगा है एक तुम्हारे आने से सच मानो मेरे जीवन में प्रकाश बढ़ने लगा है एक तुम जो भरोसा करने लगेहो मुझ पर सच मानो तब से मुझे अपने पर विश्वास बढ़नेलगा है .
..........
कह दो सनम से अब दिल की बस्ती वो कहीं और बसायें सनमखाने में मयखाने की याद आती है मयखाने में सनमखानेकी रंगीनी बुलाती है समझ नहीं आता ऐसे में हम कहाँ जाएँ कह दो सनम से .. दिल का भी क्या शोख अज़ब चलन है नए नए गुलिस्तां मांगताहरदम है कोई उसे समझाएरोजरोज नए गुल कहाँ से हम लायें कह दो सनम से ... ये रोज रोज की मीना-ओ-सुराहीठीकनहीं कह दो उनसे आज हमें चश्म-ऐ-साक़ी से पिलायें कह दो सनम से ..
........
दिल का सब हालहम उनसे कह बैठे जिन्होंने हर बात हमसेछिपाई सच मैं भी था,सच वो भी थे फिर क्यों हरेक सच पर देते थे वो सफाई कुछ ऐसा भी गुजरा है मेरे दिल के साथ ये उनकीदोस्ती का दम भरतारहा जिन्होंने आखिरी दम तक दुश्मनी निभाई .
.....
मैंने माँगा था टुकड़ा,तुमसेढँकने को तन तुमने सर से पाँवतक ढँकदिया,मुझे देकेक़फ़न चाहा था रोशनी भर के लिए चिराग तुमने रोशन कर दिया घर मेरा लगा मेरी झोंपड़ी में आग भूख लगी तो तुमने मुझे आश्वासन खिला दिए प्यास में ना जाने कितने नारे पिला दिए काश तुम रोटी ही दे देते ये तो ना रह जाता मलाल कि सन सेंतालिस कि दोस्ती का भी ना किया तुमने ख्याल मेरे साथ कर लो तुम और कोई भी मजाक मगर भगवान् के वास्ते ये मत कहो मैं या मेरी संतान भविष्य में सुख भोगेंगे आने वाली पीड़ी की चिंताहमें नहीं क्यों कि हम एक दूसरे का खून पी के अपनी संतान के खून को अपनी तरह पानी ना होने देंगे आने वाली पीड़ी तुमसे आप निपट लेगी वो हक मांगेगी नहीं आगे बढ स्वयं झपट लेगी
.........
यदि सुबह शाम तक और शाम से सुबह तक ये फासला नापना ही जीवन है तब तो मैं बहुत जी लिया किन्तु यदि ज़िन्दगी नाम है शाम को कुछ सोचा और सुबह कर दिखाने का यदि ज़िन्दगी नाम है कुछ खो के पाने का यदि ज़िन्दगी नाम है हर सुबह नूतन चेतना हर संध्या एक नयी उम्मीद का तब तो मैं बिलकुलनहीं जीया अमृत समझ मृत्यु विष को बूँद बूँद कर गले से उतारता रहा उपलब्धिके नाम पर हर साल कलेंडर चढ़ाता उतारता रहा जीवन अमृत तो मैंने बिलकुल नहीं पीया अरे! मैं तो बिलकुल नहीं जीया उफ़ ये क्या हुआ यम आ पहुंचा है और मैंने अभी तक कुछ भी नहीं कीया
.......
कैसे बीती इस बार की बहार बता सकते हैं ये लुटी डोली के कहार.
.............
हसरतोंका महल कुछइस तरहटूटा है सब्र का दामनकुछ इस तरह छूटाहै हमचिल्लाभी नापाएमददको तूने हमेंकुछ इस तरह लूटाहै
..........
कब तकमल्हारोंकेतानेसुनूंगामैं कब तक तुम्हारेबहानेसुनूंगामैं फिर चाहे मतआना आज आकरयेबता जाओ कब तक मुलाक़ातके जाल बुनूँगामैं
.............
तमन्ना नहींराँझायामजनूंबनूँ तमन्ना नहीं किसी की रातों काजुगनूँबनूँ हसरतअगर थी तो सिर्फ एक तमाम उम्रउसीकारहूँमैंजिसकाबनूँ
.............
बहकते हुएपाँवसहीडगर पर आजाते कोई मंजिल से जो बांहपसारआवाजदेदेता हमाराभी सावनचैनसेगुजरजाता कोई झूले से जो पींग बढ़ा आवाजदेदेता .
..............
आप छोड़ आये थे हमें हमारे हालपर मगर हम खुश रहे अपनी तनहाइयोंमें भी टूटे दिल की आह लेकरकिसकीबशर हुई आप तड़पते रहे मुहब्बतकीशहनाइयोंमें भी .
........
अतीतकी तूलिकाअब भी वर्तमानके कैनवासपर दुखों के रंगबिखेरजातीहै ओ मेरीपर्यटक क्या अबभी तुम्हेंमुझे यादकरने कीफुर्सतनिकल आतीहै .
.......
सिवायइनकेप्रियनहीं कुछशेष सिर्फ बचे हैं उजड़ेदिल केअवशेष चाहे ठुकरादो या फूलसमझ सजा लो अपनेकेश .
.............
साथ तू रहे तोबंजर भीहरियाली है साथ तू रहे तो अमावस भी उषाकी लाली है साथ तू रहे तो मैं मर के भीजी लूँगा साथ तू रहे तो विषघट भी अमृतकी प्याली है .
...................
करार मत दे लेकिन मैं दर्द भीनहीं चाहता दवा मत दे लेकिन मैं मर्ज़ भीनहीं चाहता यूँ किसके दिये पे किसकी बशरहुई आजतक तू प्यार मत दे लेकिन मैंनफरत भी नहीं चाहता .
...........
तेरी आँखों का दीवाना नहींमैं लाखों की उँगलियों का निशानानहीं मैं सच प्रिये मुझ में यही एकफर्क है हर एक शमा का परवाना नहीं मैं .
........
मेरा दर्द मुझे जीने नहींदेगा तेरी याद मुझे मरने नहीं देगी ज़माना बड़ा ज़ालिम है ऐ दोस्त आज अगर हम नहीं मिले तो कल ये दुनिया हमें मिलनेनहीं देगी .
..............
तेरी बेवफाई का गिला मैं किस से करूँ ज़माना बेवफाहै अब तो गिला है मुझे अपनी ही वफ़ा पर .
..............
अपने इशारों पर ज़माना लिएफिरती हो हर एक सुर में एक तराना लिएफिरती हो मेरी प्यास से पूछो कीमत अपनीआँखों की दो आँखों में जहाँ भरकामयखानालिए फिरती हो .
............
मेरी मय्यतपर ना डालोफूल तुम ज़िन्दगी भर मुझ पर हँसतेरहे आज फिर फूलों के बहाने तुम चले आये मेरी मौतपेमुस्कराने .
.....
जिनकेख्याल में हम दुनियांभुलायेबैठे हैं उनकी बे-ख्याली को क्या कहें वो हमीको भुलाये बैठे हैं .
...
मुहब्बत के दस्तूरसे अभीवाकिफ नहीं हैं वो मैं जब जब बुलाता हूँ चले आतेहैंवो .
...........
होंठसिल केकाटी है अब तक आगे भी बशर हो जाएगी आह भी की हमने तो ज़मानेको खबरहो जाएगी .
................
लो उम्र की एक तारीख़ और तुम्हारे नाम कर दी तुम ना आयींइंतज़ारमें ही शबतमाम कर दी .
.........
यादों केसाए में जी लेंगेहमतुम्हारी कसम हिज्र-ऐ-वीरां में काट लेंगेउम्र तुम्हारी कसम किस कमबख्त को परवाह है अपनेबर्बाद होने की हर सांस में करेंगे तुम्हेंआबाद तुम्हारी कसम .
...............
मेरी खामियों से उन्होंनेजहाँ को वाकिफ करा दिया जिस बुत की मैंने की परस्तिशउसी ने मुझे क़ाफ़िर बता दिया .
....
मैंने भी खुद को ख़त्म करनेकी कसम खायी है इस खुदी को बेखुदी से बदललूँगा तू खुश रह अपने गुले गुलज़ारमें मेरा क्या में तो कांटों सेभी बहल लूँगा .
...........
जाने क्यूँ दिल की धड़कन तेज़हो जाती है मेरे महबूब जब मेरे रूबरूहोते हैं बुने होते हैं जो प्यार केजाल नज़र मिलते ही सब काफूर होतेहैं .