Monday, October 8, 2012

जो तुम्हारी आँखें बोलती हैं
मेरे लब बोल नहीं पाते
मेरे ख्वाब भी तेरी अदा सीख गये
हमेशा जाने की जल्दी और बुलाने पे कभी नहीं आते

1 comment:

  1. वाह ! बहत खूब कहा है.
    जरूरी है ख़्वाबों को सहेज कर रखना,
    हमनें ख़्वाबों को हकीक़त बनते देखा है.

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