ravikikavitayen
Monday, October 8, 2012
जो तुम्हारी आँखें बोलती हैं
मेरे लब बोल नहीं पाते
मेरे ख्वाब भी तेरी अदा सीख गये
हमेशा जाने की जल्दी और बुलाने पे कभी नहीं आते
1 comment:
Unknown
October 9, 2012 at 9:24 AM
वाह ! बहत खूब कहा है.
जरूरी है ख़्वाबों को सहेज कर रखना,
हमनें ख़्वाबों को हकीक़त बनते देखा है.
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वाह ! बहत खूब कहा है.
ReplyDeleteजरूरी है ख़्वाबों को सहेज कर रखना,
हमनें ख़्वाबों को हकीक़त बनते देखा है.