Tuesday, October 30, 2012


बात न करने की कसम उसने ज़िंदगी भर निभाई

मेरी मौत से पहले उसे मेरी याद ही न आई  

नज़ाक़त से जरा भर सरकाया मेरे क़फन को,

कुछ इस तरह  हुई  मेरी रस्मे मुंह दिखाई

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