ravikikavitayen
Tuesday, October 30, 2012
बात न करने की कसम उसने ज़िंदगी भर निभाई
मेरी मौत से पहले उसे मेरी याद ही न आई
नज़ाक़त से जरा भर सरकाया मेरे क़फन को
,
कुछ इस तरह
हुई
मेरी रस्मे मुंह दिखाई
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