ravikikavitayen
Saturday, October 27, 2012
मौसम कोई हो
,
ज़ख्मों में दर्द सा रहता है
जहाँ दिल था कभी
,
टाँकों में दर्द सा रहता है
ये किस मुक़ाम पर ले आयी मुहब्बत तेरी
जब तक रो न लूं
,
आँखों में दर्द सा रहता है
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