Wednesday, April 19, 2023

 प्रश्न तो फिर प्रश्न है उत्तर देना ज़रूरी है 

लोकशाही है तो उसे स्वर देना ज़रूरी है 

कानून के आगे यकीनन बराबर हैं 

क्या फकीर ? क्या शाह  ? 

ये बात है तो ऐसा नज़र आना ज़रूरी है 

रवानी हो खून में तो सीने का माप नहीं देखा जाता 

सारस से दर जाते हैं ये दौर कागजी शेरों का है 

तुम बहादुर हो तो बहादुरी का मुजाहरा ज़रूरी है 

सियासत का सियाह चेहरा बेनकाब सबके सामने 

तुमने खत्म कीं रिवायतें मुरव्वतें तमाम 

तुम्हारी आँख का पानी मर चला तो क्या 

इक आईना आवाम की आँखों में है 

वक़्त आ गया सियासत को आईना दिखाना ज़रूरी है 

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