उम्र छोटी ज़रूर है
कैसे न कैसे कट जायेगी
तुम्हें खुदा का वास्ता
ये काली साड़ी पहना न करो
आँखें नशीली, ज़ुल्फ परीशां
खामोश लब औ’ न जाने
क़त्ल के सामां क्या-क्या बस
ये काली साड़ी पहना न करो
ये हया, ये अदा, ये तबस्सुम
पेशानी पे बेचैन ज़ुल्फ का लहरा
सीख लिया है इनसे बच निकलना
ये काली साड़ी पहना न करो
मुक़द्दर की तारीक़ी क्या कम है
मेरा नसीब मुझे मुहब्बत मिली ही कम है
सज़ा जो माकूल लगे क़बूल है बस
ये काली साड़ी पहना न करो
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