Tuesday, November 27, 2012




'डिमोकिरेसी महाठगिनी हम जानि
अमीर-गरीब फाँस लिए कर डोले बोले मधुरी वानी
गरीब को गरीबी हटाओ कह ले बैठी
अमीर के इंडिया-शाइनी
बेघर के स्लम बन बैठी लैंड-लॉर्डन के आदर्श निरमानी
काहू के एफ.डी.आई. काहू के खेतन में नहीं पानी
सूखा हो या हो बाढ़ याकू दोनों रिझानि
कहें कबीर सुनो भई साधो ! उधर 'गॉड करी' कोलावरी डी इधर 'कलमा डी'  

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