'डिमोकिरेसी’ महाठगिनी हम
जानि
अमीर-गरीब फाँस लिए कर डोले बोले मधुरी वानी
गरीब को ‘गरीबी हटाओ’ कह ले बैठी
अमीर के ‘इंडिया-शाइनी’
बेघर के ‘स्लम’ बन बैठी ‘लैंड-लॉर्डन’ के ‘आदर्श’ निरमानी
काहू के ‘एफ.डी.आई.’ काहू के खेतन में नहीं पानी
सूखा हो या हो बाढ़ याकू दोनों रिझानि
कहें कबीर सुनो भई साधो ! उधर 'गॉड करी' कोलावरी डी इधर 'कलमा डी'
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