तारों की इन नज़रों को पहचान सखि !
चाँद की मुस्कराहट का अर्थ जान सखि !
कुछ सोच ! क्या तोड़ने के
लिए ही हैं मेरे अरमान सखि !
तारों की इन नज़रों को..
कुछ करो कि ये उम्र ठहर जाए
कुछ करो कि ये समय का चक्र ठहर जाए
हम-तुम रहें सदा
अब जैसे जवान सखि !
तारों कि इन नज़रों को...
इसलिये तो नहीं मेरे प्राण छटपटाए
इसलिये तो नहीं मैंने गीत बनाये
मैं तेरी याद में सुध-बुध खो बैठूँ
तू गुनगुनाए किसी और का गान सखि !
तारों की इन नज़रों को पहचान सखि !
चाँद की मुस्कराहट का अर्थ जान सखि !
No comments:
Post a Comment