Sunday, May 30, 2010

तारों की इन नज़रों को पहचान सखि !

चाँद की मुस्कराहट का अर्थ जान सखि !

कुछ सोच ! क्या तोड़ने के

लिए ही हैं मेरे अरमान सखि !

तारों की इन नज़रों को..

कुछ करो कि ये उम्र ठहर जाए

कुछ करो कि ये समय का चक्र ठहर जाए

हम-तुम रहें सदा

अब जैसे जवान सखि !

तारों कि इन नज़रों को...

इसलिये तो नहीं मेरे प्राण छटपटाए

इसलिये तो नहीं मैंने गीत बनाये

मैं तेरी याद में सुध-बुध खो बैठूँ

तू गुनगुनाए किसी और का गान सखि !

तारों की इन नज़रों को पहचान सखि !

चाँद की मुस्कराहट का अर्थ जान सखि !

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