Monday, March 17, 2014



एक हम हैं ! हर लम्हा तेरा नाम, तेरा ख्याल, तेरा ज़िक़र 
एक तू है ! हम किस हाल में हैं ? ज़िंदा हैं ? तुझे कहां खबर  
हर मुलाक़ात में खाये है हरज़ाई कसमें ज़माने भर की  
यूँ मतलबी मुड़ के कब देखे है ? एक बार जब फेर ले है नज़र  
पत्थर दिल से तौबा करें या फिर इस अदा पे  मर मिटे
ज़ालिम की बला से कोई उसके इश्क़ में जीये या मर मिटे

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