ravikikavitayen
Wednesday, December 4, 2013
रंज़ ये नहीं, तुम मुझसे मिलने आये
ग़म ये है, ग़मों को फिर से
मिरे घर का रास्ता मिल गया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment