ravikikavitayen
Friday, November 8, 2013
मुझे खबर थी इन्हें यक़ीन न आयेगा
मैंने तेरा ज़िक्र अभी शुरू ही किया था
और सब कहने लगे
“
मियाँ ये परियों की दास्ताँ
बचपन में ही माकूल लगती थीं
”
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment