Wednesday, December 26, 2012

मुझे जिस बात का डर था लो वही बात हो गयी
वो मुस्करा दिया, मेरी शिकायत न जाने कहां खो गयी
ये सताने का हुनर है तुम बाज़ी जीत पाओ ये मुमक़िन नहीं
तारीख़ गवाह है, यहाँ दो-चार चालों में सब को मात हो गयी

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