Saturday, December 15, 2012

पी के न बहकने की कसम मैंने निभा दी है साक़ी
भटके हुए शेख को मयखाने की डगर दिखा दी है साक़ी
रात भर मैं सो न सका जिस एक बात को ले कर
सुबह होते होते तुमने दुनियां को बता दी है साक़ी

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