मुझे जिस बात का डर था लो वही बात हो गयी
वो मुस्करा दिया, मेरी शिकायत न जाने कहां खो गयी
ये सताने का हुनर है तुम बाज़ी जीत पाओ ये मुमक़िन नहीं
तारीख़ गवाह है, यहाँ दो-चार चालों में सब को मात हो गयी
वो मुस्करा दिया, मेरी शिकायत न जाने कहां खो गयी
ये सताने का हुनर है तुम बाज़ी जीत पाओ ये मुमक़िन नहीं
तारीख़ गवाह है, यहाँ दो-चार चालों में सब को मात हो गयी