Sunday, September 2, 2012


बदले तो बदले पर कोई

ऐसे भी न बदले

कि रिश्ते  नज़र आने लगें बदले-बदले

बदले तो जब जी चाहे बदले कभी घर, कभी गली, कभी शहर

पर भला कोई यूँ भी न बदले कि

अपने चाहने वालों से लेने लगें यूं  बदले

भले चंदा बदले, सूरज बदले

बदले मेरी बला से दुनियां बदले

हम तो वसीयत में लिख चले

लाख ज़माने कहां से कहां बदले

बदले तो न बदले एक मेरे महबूब कभी तुम न बदले

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