मेरा ही खंजर
मेरे सीने में
उतार दिया.
आज उस ने
मेरा कर्ज़
उतार दिया.
तू जिये हज़ारों साल
तुझ पे अपनी जान का
सदका हमने
उतार दिया.
सियासत में शराफत
ढूँढते हो
यहाँ सबने अपना पानी
उतार दिया.
हासिल थी सभी नियामतें
फिर राज़ क्या है ? क्यूँ उसने
अपने भाइयों को मौत के घाट
उतार दिया.
हम अलमस्त रहे
अमीरी हो कि फकीरी
गो एक चोला पहना तो दूसरा
उतार दिया.
ज़िंदगी मेरे पास सही टिकट था सफर का
फिर क्यों कर आधी रात
मुझे जंगल में
उतार दिया.
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