Monday, August 9, 2021

धुंआरा बनाम चिमनी

 गाँव में मेरा एक कच्चा मकान था

कच्चे मकान की दीवार कच्ची थी

कच्ची दीवार से लगा कच्चा चूल्हा था

फूंकनी से चूल्हा फूंकती मेरी दादी

चूल्हे के नीचे छिपी एक हँडिया थी

जिस में राख़ इकट्ठा हुआ करती थी

वो राख़ दाँत माँजने के काम आती

शौच के बाद हाथ धोने के काम आती  और बर्तन माँजने के काम आती

विम-बार, लिक्विड सोप और हज़ार नींबू की शक्ति बनने से पहले

छत में एक धुंआरा होता था

छत पर उस धुंआरे को गोबर और

मिट्टी की परिधि से 'सेफ' क्या जाता था

ताकि बरसात में पानी चूल्हे पर न आए

यूं बारिश में धुंआरे को ढँकने को टिन लोहे या पॉलिथीन का टुकड़ा होता था

अब बिजली की चिमनी चल गई हैं

डिजायनर्स चिमनी, महंगी बहुत

बहुत महंगी चिमनी

साठ हज़ार से लेकर दो लाख

और उससे ऊपर की चिमनी

जितने में पूरा एक कच्चा घर बन जाये

अब उससे भी ज्यादा की एक

अकेली बस चिमनी

वो भी कच्ची है, आपको ए.एम.सी. कराना पड़ेगा

एक निश्चित लाइफ है उसकी

वो उससे भी कम है जितनी सेल्समैन इंगलिश में बता कर गया है

......मैं सोचता हूँ उस कच्चे मकान की कच्ची दीवार से सटे 

कच्चे चूल्हे का कच्चा धुंआरा 

कहीं अधिक पक्का था

जीवन भर...जीवन भर क्या

कई कई पीढ़ियों चला करता था

वो भी बिना ए. एम. सी. के

 

 

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