खंजर पैना कर लाये हैं मेरी तबाही का
आज वो सुरमा लगाये हैं पतली सलाई का
एक झलक देख भी न पाये ठीक से
पलक झपकते खत्म हुआ वक़्त मिलाई का
गाँव में मेरा एक कच्चा मकान था
कच्चे मकान की दीवार कच्ची थी
कच्ची दीवार से लगा कच्चा चूल्हा था
फूंकनी से चूल्हा फूंकती मेरी दादी
चूल्हे के नीचे छिपी एक हँडिया थी
जिस में राख़ इकट्ठा हुआ करती थी
वो राख़ दाँत माँजने के काम आती
शौच के बाद हाथ धोने के काम आती और बर्तन माँजने के काम आती
विम-बार, लिक्विड सोप और हज़ार नींबू की शक्ति बनने से
पहले
छत में एक धुंआरा होता था
छत पर उस धुंआरे को गोबर और
मिट्टी की परिधि से 'सेफ' क्या जाता था
ताकि बरसात में पानी चूल्हे पर न आए
यूं बारिश में धुंआरे को ढँकने को टिन लोहे या पॉलिथीन का
टुकड़ा होता था
अब बिजली की चिमनी चल गई हैं
डिजायनर्स चिमनी, महंगी बहुत
बहुत महंगी चिमनी
साठ हज़ार से लेकर दो लाख
और उससे ऊपर की चिमनी
जितने में पूरा एक कच्चा घर बन जाये
अब उससे भी ज्यादा की एक
अकेली बस चिमनी
वो भी कच्ची है, आपको ए.एम.सी. कराना
पड़ेगा
एक निश्चित लाइफ है उसकी
वो उससे भी कम है जितनी सेल्समैन इंगलिश में बता कर गया है
......मैं सोचता हूँ उस कच्चे मकान की कच्ची दीवार से सटे
कच्चे चूल्हे का कच्चा धुंआरा
कहीं अधिक पक्का था
जीवन भर...जीवन भर क्या
कई कई पीढ़ियों चला करता था
वो भी बिना ए. एम. सी. के