नज़रें झुकाये ही कर गये ये हाल दिले बेताब का
नज़रें मिलाते तो क्या होता हाल दिले बेताब का
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कहने वाले कहते हैं जादू है
तेरी इन आँखों में
सब सुनी-सुनाई कहते हैं
उन्हें कहां खबर क्या क्या है तेरी
आँखों में
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तेरी मुहब्बत के मारों को दवा
न दवाखाना मिला है
अलबत्ता जब से ज़हर पिया कुछ-कुछ
आराम मिला है
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