कल तलक मैं आंख का तारा था इस शहर में
आज कोई पहचानता नहीं मुझे इस शहर में
पहचान कर भी वो न पहचानने की तेरी अदाकारी
मजबूरी कभी इतनी तो ना थी मजबूर इस शहर में
आज कोई पहचानता नहीं मुझे इस शहर में
पहचान कर भी वो न पहचानने की तेरी अदाकारी
मजबूरी कभी इतनी तो ना थी मजबूर इस शहर में
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