कोई अजब नहीं होता
कुछ गज़ब नहीं होता
कमाल है अब किसी बात पर
ताज्जुब नहीं होता
अपने बुजुर्ग की हत्या
जिगर के टुकड़े की बलि
पत्थरों के शहर में अब किसी को
दुःख नहीं होता
कैसे चले दूकान
आईनों की, अंधों के शहर में
क्या हैरत गर किसी का इधर
रुख नहीं होता
मर जायेंगे तुम्हारे बगैर
जी न पाएंगे तुम्हारे बगैर
सच है, मगर बार बार ये दोहराना
शुभ नहीं होता