बचपन में कितनी अमीरी थी
कागज के थे तो क्या ?
हवाई जहाज, नाव, टोपी
पीपनी सब कुछ ही तो था
वो सब कुछ जो अमीर बनने को
दिनोंदिन खुश रहने को बहुत था
बहुत था दोस्तों के साथ शेयर करने को
आज सूरत बदल गयी है
सब कुछ ही तो बदल गया
न जाने वो अमीरी कहाँ रह गयी ?
दिनोंदिन ग़रीब होता जा रहा हूँ
क्या मैं ... क्या मेरे दोस्त !
अभावों के सहस्र रावण
सुख की सीता हर ले गए हैं
आसपास नज़र दौड़ाता हूँ
हम में विरला ही कोई कोई राम है